गीत/नवगीत

नर-नारी के  एक होने से

इक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है।
नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

सहयोग समन्वय से आगे बढ़ के।
साथ-साथ  बढ़,  सीढ़ी चढ़ के।
विकास पथ पर, आगे बढ़ो मिल,
मिट जाओगे, अकेले  अढ़ के।
इक-दूजे की देखभाल कर, प्रेम भावना बढ़ती है।
नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

केयरिंग-शेयरिंग, सूत्र यहाँ पर।
पारिवारिक हैं,  मूल्य जहाँ पर।
प्रेम, त्याग, समर्पण, निष्ठा,
साथ में जीते, स्वर्ग वहाँ पर।
छल, धोखा, कपट भावना, परिवार में सबको खलती है।
नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

प्रेम से देखो, घर महकेगा।
दिखावे से तो, बस बहकेगा।
इक-दूजे हित जीना सीखो,
रोम-रोम फिर से चहकेगा।
ईष्र्या, द्वेष तज, प्रेम भाव से, सूरत घर की बदलती है।
नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)