कविता

आज हवाओं को हमने

आज हवाओं को हमने अपने से प्रतिकूल लखा,
जीवन रूपी बाला का उड़ता हुआ दुकूल लखा।
दिन प्रतिदिन दुर्दिन से बाजी खेल रहा हूं मैं,
अर्थ रहित बीते जीवन में समय नहीं अनुकूल लखा,

काट रहा हूं मैं दिन गिन प्रतिदिन अर्थाभाव में,
लहरों से जो हार रही मैं बैठा हूं उस नाव में।
मगर भरोसा बाहूबल पर तैर पार मैं जाऊंगा,
राम नाम का लेके बसा हुआ हूं गांव में।।

वो जो ऊपर बैठा है अपनी दृष्टि घुमायेगा,
कृपा पात्र मैं हुआ अगर तो सृष्टि हमें सुहायेगा।
कर्म फल से सिंचित होकर मैं वट वृक्ष बनूंगा जब,
मेरे द्वारा अगणित जीव मोक्ष तलक मुस्कायेगा।।

— प्रदीप कुमार तिवारी

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं