कौन सच्चा है यहाँ
कौन झूठा है यहाँ ,और कौन सच्चा है यहाँ ,
जिंदगानी के इस सफर में कौन कच्चा है यहाँ .
सबका चेहरा देख मासूमियत से है भरा ,
किसको समझें हम खिलाड़ी, कौन बच्चा है यहाँ।
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जिंदगी कुछ भी नहीं बस प्यार का उपहार है .
खुशियों के फूलों के संग ग़म का इक हार है .
जिन्दगी जीना सिखाती है गम के संग सदा।
और ग़म के पार खुशियों से भरा संसार है।
— महेंद्र कुमार वर्मा