ईद में
प्यार का डोज कुछ दो बढ़ा ईद में।
भूलकर यार शिकवा गिला ईद में।
कुछ न भाया सनम के बिना ईद में।
सब रहा बेमज़ा बाखुदा ईद में।
इस जहां में रहे अब न ग़मगीं कोई,
सब करें आओ मिलकर दुआ ईद में।
इक महीने तलक जो मशक्कत हुई,
मिल रहा है उसी का सिला ईद में।
जब गरीबों की करते चलोगे मदद,
फूल बरसाएगा तब खुदा ईद में।
— हमीद कानपुरी