गीतिका/ग़ज़ल

ईद में

प्यार का  डोज कुछ  दो बढ़ा  ईद में।
भूलकर  यार  शिकवा  गिला  ईद में।
कुछ न भाया सनम  के बिना ईद  में।
सब   रहा   बेमज़ा  बाखुदा   ईद  में।
इस जहां  में रहे  अब न ग़मगीं कोई,
सब करें आओ मिलकर दुआ ईद में।
इक महीने तलक  जो मशक्कत हुई,
 मिल रहा  है उसी का सिला  ईद में।
जब  गरीबों  की करते  चलोगे मदद,
फूल  बरसाएगा  तब  खुदा   ईद  में।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415