कविता – खेती
दुआ की खेती जग में करना
बद्दुआ की खेती मत करना
दुआ खुशहाली देता है
बद्दुआ दुःखदायी है बहना
अच्छी सोंच की खेती जग में करना
बुरे सोंच की खेती मत करना
सकारात्मक ऊर्जा सकून देता है
नकारात्मक ऊर्जा नरक है बहना
उपकार की खेती जग में करना
अपकार की खेती मत करना
उपकार समृद्धि देता है
अपकार मुँह काला है बहना
प्रकाश की खेती जग में करना
अंधकार की खेती मत करना
प्रकाश अंधियारा मिटाता है
अंधकार गर्त है सुन बहना
ज्ञान की खेती जग में करना
अज्ञान की खेती मत करना
ज्ञान विज्ञान समझाता है
अज्ञान ठोकर है बहना
सुविचार की खेती जग में करना
कुविचार की खेती मत करना
सुविचार मंगलदायक है
कुविचार अमंगल है बहना
भलाई की खेती जग में करना
बुराई की खेती मत करना
भलाई की अन्न मीठा होता है
बुराई की स्वाद तीता है बहना
अच्छाई की संगत जग में करना
बुराई की संगत से बचना
सुसंगत गुणकारी होता है
कुसंगत से हानि है बहना
खुशियों की खेती जग में करना
गम पाने की खेती मत करना
जीवन दो दिन का मेला है
हँसकर जग से विदा लेना
— उदय किशोर साह