शराबी
शराबी
जान की परवाह नही ,
बढ़े कितना भी प्रकोप ।
जाम मिलते रहना चाहिए,
बस यही हमारी होप ।।
न हो खाने को रोटी है,
फिर भी घर चल जायेगा ।
सुबह शाम चॉहिये जाम
जुगाड़ भी हो जायेगा ।।
जाम का रेट बढ़ जाये,
दस बीस और पचास ।
पीने से ही पता चलता ,
कितना हुआ विकास ।।
स्कूल बन्द मन्दिर बन्द,
मस्जिद और देवालय ।
हम तो है शराब प्रेमी ,
खुला हमारा मदिरालय ।।
चिंता हुई हमारी ओ ,
मेरे मालिक सरकार ।
पीने के लाले थे पड़े ,
दारू पहुँचा मेरे घर द्वार ।।
देश राज्य की जीडीपी ,
बढ़ाने में है अपना हाँथ ।
जान से बड़ी जाम है ,
भले ही छूट जाये साथ ।।
हम तो है शराब प्रेमी ,
करे मौत से भी तकरार।
हमे तो केवल है बस,
शराब के बोतल से प्यार।।
सोमेश देवांगन
गोपीबन्द पारा पंडरिया
जिला-कबीरधाम(छ.ग.)