स्वास्थ्य

कोरोना पश्चात् की समस्याएँ एवं समाधान

कोरोना की जो दूसरी लहर देश में चल रही है, उससे लाखों लोग पीड़ित हैं और विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं या घर पर ही उपचार करा रहे हैं। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत ठीक भी हो जाते हैं अर्थात् कोरोना नेगेटिव आ जाते हैं। लेकिन यह देखा गया है कि कोरोना से मुक्त होने के बाद भी वे कई समस्याओं का सामना करते हैं और बहुतों की तो हार्ट अटैक से मृत्यु होने की घटनायें भी हुई हैं। हाल ही में मूर्धन्य पत्रकार रोहित सरदाना कोरोना से पीड़ित होने के बाद एक नामी अस्पताल में उपचार कराकर नेगेटिव हो गये थे, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही उनको भीषण हृदयाघात हुआ, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी।

मेरे विचार से इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उपचार के दौरान उनको ऐसी दवायें दी जाती हैं, जिनसे कोरोना भले ही चला जाये, लेकिन उसके पाश्र्व प्रभाव के कारण शरीर के कई अंग कमजोर हो जाते हैं, जिनमें हृदय भी शामिल है। डाॅक्टर लोग इसकी चिन्ता प्रायः नहीं करते कि इन दवाओं का क्या दुष्प्रभाव होगा। उनका मुख्य उद्देश्य उस समय पीड़ित को कोरोना से मुक्त करना मात्र होता है। इसी एकांगी उपचार का दुष्परिणाम पीड़ित को आगे चलकर भुगतना पड़ता है।

कोरोना से स्वस्थ हो चुके अधिकांश व्यक्तियों में प्रायः ये लक्षण पाये जाते हैं- श्वाँस लेने में कठिनाई, हृदय का तेजी से धड़कना, शरीर में कमजोरी और थकान। ये मुख्य लक्षण हैं। इनके अलावा और भी कई लक्षण पाये जा सकते हैं, जैसे- हाथ और पैरों में सूजन या दर्द या दोनों, हृदय की अनियमित धड़कन, व्यायाम करने में कठिनाई होना, लगातार खाँसी आना, वजन तेजी से कम या अधिक होना, भूख में कमी आना, पेशाब बार-बार आना आदि। इनमें से एक या अधिक लक्षण होना कमजोर हृदय और फेंफड़ों के द्योतक हैं, इसलिए पीड़ित को बहुत सावधान हो जाना चाहिए।

इन सभी समस्याओं का निश्चित समाधान प्राकृतिक आहार-विहार में है। इसलिए कोरोना से मुक्त हो चुके व्यक्तियों को निम्नलिखित उपाय तत्काल प्रारम्भ कर देने चाहिए, भले ही उन्हें ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे रहा हो या न रहा हो-

1. सभी तरह की ऐलोपैथिक और होम्योपैथिक दवाओं को तत्काल बन्द कर देना चाहिए। केवल आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन जारी रखा जा सकता है। पर उनके समाप्त होने पर नई दवा न खरीदें।

2. नित्य गुनगुने जल का सेवन दिन में कम से कम दो बार करें। उसमें आधा नीबू और एक चम्मच शहद भी मिला लें तो अधिक अच्छा रहेगा। ये दोनों वस्तुएँ शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और उससे विकार निकालने में सर्वश्रेष्ठ हैं।

3. दिन में कम से कम एक बार नाक और मुँह से भाप लेना। भाप का पानी जरा सा सेंधा नमक मिला सादा ही होना चाहिए। उसमें आप चाहें तो सेंधा नमक की जगह अजवाइन डाल सकते हैं। इससे नाक तथा श्वाँस नली साफ होगी और साँस लेना सरल होगा।

4. सुबह खाली पेट लहसुन की तीन-चार कली छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके सादा पानी से निगल लें या चबाकर खायें। इससे हृदय को मजबूती मिलेगी और रक्त साफ होगा।

5. दिन में दो-तीन बार लगातार 5-5 मिनट तक गहरी साँस लें और निकालें। अपनी आॅक्सीजन का स्तर नापते रहें।

6. गाय का देशी घी (पतंजलि का घी भी अच्छा रहेगा) किसी ड्राॅपर वाली डिब्बी में भरकर रख लें। रात को सोते समय उससे तीन-चार बूँदें नाक में दोनों ओर टपकायें। इससे श्वाँस नली में किसी भी तरह की रुकावट समाप्त हो जाएगी।

7. बहुत सात्विक और हल्का भोजन करें। पूरी तरह स्वस्थ होने तक सभी तरह के बाहरी भोजन और फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई आदि का परित्याग करें। आपके भोजन में हरी सब्जी, फल, दूध और सूखे मेवा की प्रधानता होनी चाहिए। पर्याप्त जल पियें।

8. शरीर में शक्ति धीरे-धीरे ही आएगी, इसलिए अधिक खाकर जल्दी शक्ति बढ़ाने की चेष्टा न करें।

9. अपनी शक्ति के अनुसार खुली हवा में टहलें और गहरी साँसों वाला प्राणायाम करें। यदि शरीर में शक्ति हो, तो हल्का व्यायाम भी कर सकते हैं।

10. सबसे बडी बात यह है कि सदा प्रसन्न रहें और आत्मविश्वास बनाये रखें कि आप शीघ्र ही पूर्ण स्वस्थ हो जायेंगे।

यदि कोरोना से मुक्त हुए व्यक्ति इन उपायों को तत्काल अपनाना शुरू कर दें, तो उनको कोई बड़ी समस्या होने की सम्भावना नहीं रहेगी।

— डाॅ विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]