ग़ज़ल
रिश्ते नाते प्यार बफ़ा से
सबको अब इन्कार हुआ
बंगला गाड़ी बैंक तिजोरी
इनसे सबको प्यार हुआ
जिनकी ज़िम्मेदारी घर की
वह सात समुन्द्र पार हुआ
इक घर में दस दस घर देखे
अज़ब गज़ब संसार हुआ
कुछ मिलने की आशा जिससे
उस से अब ही प्यार हुआ
ब्यस्त हुए बेटे बेटी तब
पिता घर में जब वीमार हुआ
— मदन मोहन सक्सेना