गीत/नवगीत

सशक्तीकरण का, युग है भाई

सशक्तीकरण का, युग है भाई, नारी नर पर भारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।

घरवाली, घर की पट रानी।
बड़े-बड़ों को, पिलाती पानी।
अप्रसन्न हो गयीं, किंचित भी,
नर को याद दिलाती नानी।
घर ही नहीं, कार्यस्थल पर भी, प्रेम से चलाती आरी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।

शिक्षा में अब, नर से आगे।
गुस्से से अब, भूत भी भागे।
नर की इज्जत लूट रही है,
अधिकारों हित, नारी जागे।
अत्याचार सहे थे अब तक, अब नारी की बारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।

घरवाली का खिताब है छोड़ा।
कर्तव्यों से, रिश्ता  तोड़ा।
नर के पीछे दौड़ रही है,
कानून का ले, हाथ में कोड़ा।
नारी को अधिकार मिले सब, नर की जिम्मेदारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)