सशक्तीकरण का, युग है भाई
सशक्तीकरण का, युग है भाई, नारी नर पर भारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।
घरवाली, घर की पट रानी।
बड़े-बड़ों को, पिलाती पानी।
अप्रसन्न हो गयीं, किंचित भी,
नर को याद दिलाती नानी।
घर ही नहीं, कार्यस्थल पर भी, प्रेम से चलाती आरी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।
शिक्षा में अब, नर से आगे।
गुस्से से अब, भूत भी भागे।
नर की इज्जत लूट रही है,
अधिकारों हित, नारी जागे।
अत्याचार सहे थे अब तक, अब नारी की बारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।
घरवाली का खिताब है छोड़ा।
कर्तव्यों से, रिश्ता तोड़ा।
नर के पीछे दौड़ रही है,
कानून का ले, हाथ में कोड़ा।
नारी को अधिकार मिले सब, नर की जिम्मेदारी है।
नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।