कविता

उड़ान

अपनी उड़ान इतनी ऊंची हो
धरा से कभी साथ न छूटे।
दिलों के रिश्तों में सच्चाई इतनी हो
किसी अपनो का भरोसा न टूटे।
बगिया महकती रहे फूलों से
माली का बगिया से रिश्ता न टूटे।
चाहे दुनिया साथ न दे
मुझसे कभी मेरा रब ने रुठे।
रिश्तों की डोर इतनी हो पक्की
किसी झंझावात से  न बिखरे।
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P