उड़ान
अपनी उड़ान इतनी ऊंची हो
धरा से कभी साथ न छूटे।
दिलों के रिश्तों में सच्चाई इतनी हो
किसी अपनो का भरोसा न टूटे।
बगिया महकती रहे फूलों से
माली का बगिया से रिश्ता न टूटे।
चाहे दुनिया साथ न दे
मुझसे कभी मेरा रब ने रुठे।
रिश्तों की डोर इतनी हो पक्की
किसी झंझावात से न बिखरे।
— विभा कुमारी “नीरजा”