कविता

मेरे देश की मिट्टी

नमन करूँ अपने देश की मिट्टी को
कण कण में सौंधी खुशबू
लहू से रंगी
दूध से नहाई इस की
आभा निराली खूब
चार ऋतुओं की अतुलनीय
छवि निखारे रूप
गीता का ज्ञान सुना मिट्टी ने
अमर अजय है यह मिट्टी
ऋषियों मुनियों की रमती
धूनी के हवन कुंड से महकती पावन होती
मिट्टी मेरे देश की
ईश के अवतारों नें
रचाई है अनूप लीला मिट्टी में
डगमग कदमो की रुनझून नें
जपी तपी ज्ञानी ध्यानियों से पुनीत हुई मिट्टी
श्री राम के नंगे चरणों को पखारती
मां जानकी के चरणों से पावन हुई मिट्टी
लक्ष्मण के हाथों से
इसी मिट्टि पर खेंची गई लक्ष्मण रेखा
अंजली में भर मिट्टी की
सौगंद खाती भीष्ण प्रतिज्ञा
पांडवों के वनवास के नीरव पदचापों से
सनी पावन मिट्टी मेरे देश की
हिमालय से सागर तक
बहती अमृत से भरी नदियां
सींचती तेरे कण कण को
मरमिट गए यहाँ कई योद्धा
वीर फौलादी सीना तान
शहीद हुए माटी का कर्ज चुकाने को
यहीं पर गूँजी मधुर बाँसुरी की तान
सुरों के ज्ञाता,कई कंठ कोकिला
मुग्ध किया जन गण मन
कितनी सुंदर मन भावन
मिट्टी मेरे देश की
कोटि कोटि नमन
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995