कविता

पंथनिरपेक्षता

कोई भी व्यक्ति,

जो मानव होने का

दावा करता है,

वह धर्मनिरपेक्ष

हो ही नहीं सकता है,

किन्तु वह पंथनिरपेक्ष

हो सकता है !

नामवर सिंह जी

और सुधीश पचौरी जी के द्वारा

लिखा मैंने आजतक

समझ नहीं पाया हूँ,

पर आपने ?

अपनी ‘कार’ त्यागकर,

बसों या ट्रेनों में सफर करें,

तो किसानों को

‘तेल’ मुफ्त में प्राप्त होंगे।

तभी ‘सरकार’ बरकरार

और बेकरार रहेगी !

एक व्यक्ति माट’सा कह

शब्दों को बिगाड़

दबंगीयत का

परिचय देता है !

तभी तो बचपन में

मैं उसे ‘नेटा’ ही

कह पाता था

यानी ‘नाक’ का ‘घी’ !

संविधान में

‘सेक्यूलर’ शब्द का

उल्लेख है,

जिनका अधिकृत हिंदी अर्थ

पंथनिरपेक्ष है।

‘पंथ’ का अर्थ

सम्प्रदाय से है,

जो धर्म नहीं है !

मेरे शिक्षक व शिक्षिका मित्र,

जिसने मेरी किताब

रुपये देकर नहीं खरीदे,

अपितु उसे उपहारस्वरूप मिली,

बावजूद वे इसे पढ़ नहीं पाए हैं !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.