लघुकथा- इम्यूनिटी
“हम लोग रोज सुबह-शाम काढ़ा पी रहे हैं। काजू बादाम पिस्ता जैसे डॉयफ्रूट खा रहे हैं। सेब, अनार ,मौसम्बी,संतरा का जूस पी रहे हैं। पनीर,पीनट मक्खन खा रहे हैं। दोनों टाइम भरपेट खाना खा रहे हैं। योग ध्यान और व्यायाम कर रहे हैं तो हमारी इम्यूनिटी बढ़िया हो ही जाएगी दीदी, आप हम लोगों की चिंता मत करो।” मिसेज गोयल मोबाइल पर अपनी दीदी से कह रहीं थीं।
झाड़ू-पोंछा करते हुए मिसेज गोयल की काम वाली बाई अपनी मालकिन की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी।
घर आकर उसने अपने मजदूर पति से रुआंसे स्वर से कहा- “सुनो जी, हमारी मालकिन का परिवार रोज काढ़ा पीता है। काजू बादाम पनीर, मक्खन खाता है। मौसम्बी और संतरे का जूस पीता है। योग व्यायाम करता है। दोनों टाइम भरपेट खाना खाता है तो उनका इम्यूनिटी बढ़िया होगा ही और उनको जल्दी से कोरोना भी नहीं होगा। हम लोगों के पास तो एक टाइम खाने के लाले पड़े हैं तो हम लोगों का क्या होगा?”
उसकी बात सुनकर पसीना पोंछते हुए मजदूर पति ने कहा-” तुम चिन्ता मत करो। भले ही हमारे पास महंगा खाना-पीना नहीं है पर हमारे पास मेहनत का पसीना है फिर हमें योग-व्यायाम करने की क्या आवश्यकता है? इम्यूनिटी बढ़ाने की आवश्यकता वाकई पैसे वालों को है। हमें नहीं।” यह सुनकर काम वाली बाई के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
— डॉ. शैल चन्द्रा