संस्मरण

संस्मरण : सुन्दरलाल बहुगुणा

पर्यावरण संरक्षण के लिये अपना जीवन अर्पित करने वाले सुन्दरलाल बहुगुणा जी आज हमारे बीच नहीं है उनके द्वारा जो कार्य किये गये वह मिसाल के रुप में हमारे बीच हमेशा ही रहेगें। बहुगुणा जी के साथ वैसे तो अनेक स्मृतियां है मैं इस संस्मरण में उसकी ही चर्चा मैं कर रहा हूँ जिसकी छाप मेरे जीवन में सबसे ज्यादा पड़ी है ।
वह मेरे छात्र जीवन के समय की है। मैं जब उत्तरकाशी से बी०ए० 1980 कर रहा था, तब उनका जेष्ठ पुत्र राजीव नयन बहुगुणा और मैं सहपाठी थे राजीव मेरा परम मित्र था, उत्तरकाशी उजेली में सर्वोदय का आश्रम है बहुगुणा जी वहां आते जाते रहते थे राजीव भी वही पर रहता था , मैं राजीव के कमरे में बराबर जाता रहता वही पर बहुगुणा जी से बातचीत होती रहती थी कभी वे पढाई के बारे में भी चर्चा लेते थे तो मैं सकपका सा जाता था पढ़ाई के नाम पर राजीव और हम लोग सामान्य ही स्तर के छात्र थे। अतः उनसे ज्यादा चर्चा भी नहीं करते थे।
पर जिस घटना के बारे में मैं चर्चा कर रहा हूँ ।वह है कि 1980 के फरवरी माह की है राजीव और मैं पिक्चर देखने जा रहे थे फिल्म थी रोटी कपडा और मकान बहुत उत्साह था फिल्म को लेकर हम लोगों के मन में , हम लोग जब बस स्टैंड पर एक बस के सामने रुके और अपने अन्य मित्रों को बताया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है संयोग से राजीव के पिता स्वर्गीय बहुगुणा जी उसी बस में बैठे थे जिसके सामने हम लोग बातचीत कर रहे थे और उन्होंने हमारी बातचीत भी सुन ली थी।
उन्होने तुरन्त अपने थौले में से एक पोस्टकार्ड निकाला और राजीव को पत्र लिखा बेटे मैंने अपने जीवन में एक ही पिक्चर देखी उससे मुझे प्रकृति से प्रेम करने व प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की शिक्षा मिली है। तुमने जो फिल्म देखी है उससे तुम्हें क्या शिक्षा मिली है मुझे जरूर बताना।
जब राजीव ने तीन दिन बाद मुझे वह पोस्टकार्ड दिखाया तो मैं भी अचम्भित रह गया कि कैसे बहुगुणा जी ने हम लोगों की चोरी पकड़ ली।
बाद में राजीव ने बताया कि उसने अपने पिताजी को रोटी कपडा और मकान की कहानी और उसके मूल उद्देश्यों के बारे में बताया था तो वे बहुत खुश हुये।
वर्ष 1998 में बहुगुणा जी रुद्रप्रयाग में आये उस समय मैं स्थानीय इंटर कालेज में शिक्षक था, मुझे ज्योंही पता चला कि बहुगुणा जी रुद्रप्रयाग आये है तो मैं उनसे मिलने चला गया। वे मुझे तुरन्त पहचान गये तथा पूछा तुम यहां कैसे तो मैंने बताया कि मैं यहाँ कालेज में शिक्षक हूं , वे बहुत खुश हुये तब मैने उनको अपने और राजीव के पुराने यादों को सुनाया तथा वह पिक्चर वाला संस्मरण सुनकर वे बहुत आनन्दित हुये और बोले तुम्हें आज तक याद है। उनसे बहुत सारी बातचीत हुई तब उनके साथ मैंने फोटो भी खिचाया। जो इस संस्मरण में लगा है।
बहुत ही सरल स्वभाव के थे बहगुणा जी, आज वे हमारे बीच नहीं है उनके द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में किये गये अद्वितीय कार्य टिहरी बांध का विरोध उनके आलेख सरलता मधुर व्यवहार हमेशा याद रहेगा।
उन्हें मैं उन्हें अपनी श्रद्धा सुमन करते हुये प्रणाम करता हूं। याद आयेगी बहुत आयेगी, कमी खलेगी बहुत तडफायेगी।
— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171