सामाजिक

आह वाली तिजौरी

आज सम्पूर्ण विश्व इस कोरोना महामारी से परेशान सब अपनी जान बचाने चारो तरफ भाग रहे है। सब कोई अपनी जान बचाने और परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ रहे है। कोई बीमारी से मर रहा है, तो कोई भुखमरी से मर रहा है, इस विपदा की घड़ी में कई लोग अपना तन मन धन लगा कर लोगो की सेवा कर रहे है, मानो वो साक्षात भगवान की सेवा कर रहे हो, इसी कड़ी कुछ लोग एसे है कि इस आपदा को अपनी काली कमाई का अवसर समझ रहे है और हर चीज का दाम बढ़ा कर बेच रहे है। जैसे दवाई की जरूरत अभी कोरोना मरीज को पड़ रहा तो उसकी सही कीमत एक हजार है तो उसे बीस हजार में बेच रहे है ।तो कही दूसरी दवाई में लेबल बदल के बेच रहे है।तो कोई खाली सीसी में पानी डाल के बेच रहा है। उसी प्रकार इस विपदा में लोगों को खाने पीने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जरूरत के सामान को सही मूल्य में नही बेचा जा रहा उसे भी अपने हिसाब से डबल तिबल रेट लगा कर बेच रहे है ।
और सोच रहे है कि यही अवसर है कमाई का इसके बाद नही मिलने वाला जितना कमाना है। लूटना है लूट लो तो वो गलत सोच रहे है। इस विपदा के घड़ी में मदद के जगह लूट रहे हो और खुश हो रहे तो ये बहुत बड़ी गलती है वो काली कमाई जो किये हो उसमे आह भरा हुआ है उस बहन का जिसने अपना भाई खो दिया। बिना दवाई के उस पत्नी से जिसने अपना पति खो दिया। गलत दवाई से  उस माँ  का भी आह लगा हुआ है जिसने अपनी कमाई का सारा पैसा खर्च कर दिया बेटे के जान बचाने में और उसे तुमने खाली सीसी में  पानी भरकर बेच दिया उन सब के आह है ।और जो जरूरत के सामान को डबल तिबल भाव मे बेचे है ।अपनी मनमानी किये उनकी भी काली कमाई में आह भरा हुआ है जितनी भी काली कमाई कर लो और अपनी तिजौरी भर लो तिजौरी तो भरा रहेगा लेकिन उस धन का सुख नही मिल पायेगा क्योकि उस काली कमाई में आह भरा हुआ है ।
तो अभी भी वक्त है सुधर जाओ और इस आपदा की घड़ी में जितना हो सके सहायता करो और काली कमाई को छोड़ो।

— सोमेश देवांगन

सोमेश देवांगन

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