कविता

अकेलेपन  की साथी  कविता

अकेलेपन  की साथी  कविता।
जहाँ न पहुँच सकता है सविता।
सुनती, रोती, गाती है  जो,
मेरी सखी,  सहेली कविता।

कोई न मेरी बात है सुनता।
मैं  अपने सपनों को बुनता।
संग-साथ  ना कविता छोड़े,
भाव-शब्द, निश-दिन हूँ चुनता।

कविता ने है, मुझे सँवारा।
पीड़ा में  है,  मुझे दुलारा।
हृदय से मेरे, निकल के आई
जब-जब मैंने, उसे पुकारा।

कविता ने है, स्नेह लुटाया।
कभी नहीं, धन मान जुटाया।
हृदय में मेरे,  बसी हुई है,
कभी नहीं,  अधिकार जताया।

प्रेमिका जैसी, माँग नहीं है।
पत्नी की तकरार  नहीं है।
भावानुगामिनी  मेरे उर की,
किसी की करे परवाह नहीं है।

संबन्धों से पीड़ित जब होता।
बंधनों से, जब, है मन रोता।
कविता के आँचल में छिप,
लगाता प्रेम सुधा में गोता।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)