कविता

मीठी वाणी

मीठी वाणी मीत मिलते,
तीखी वाणी शत्रु पनपते।
मीठी मीठी वाणी बोलिए
जगत में मधुरता घोलिए।
मीठी वाणी देव की जानी
तीखी वाणी दैत्य निशानी।
मीठी वाणी दिल मिलाए
तीखी वाणी कहर बरपाए।
मीठी वाणी औषधि बनती
तीखी वाणी जहर उगलती।
मीठी वाणी सबको भाती,
जगत में सम्मान दिलाती।
मीठी वाणी उपजे सुविचार,
तीखी वाणी कुत्सित विचार।
प्यारे तुम भी मीठा ही बोलो,
पहले तोलो फिर मुख खोलो।
— ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

तिलसहरी कानपुर नगर