मूक-बधिर
लगभग रात के १२बजे ट्रेन चंडीगढ़ से चली। मैं अपनी दो बेटियों के संग कोटा अपने बड़े भाई के पास जा रही थी। चूंकि रात का समय था सभी सो रहे थे, हमलोग भी अपने अपने बर्थ पर सो गए। सुबह जब आंख खुली तो ट्रेन मथुरा स्टेशन पर रुकी हुई थी। हमलोग ने नाश्ता किया और खिड़की के बाहर नजारा देखने लगे।मैं इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ थी कि हमारी ट्रेन का रुट चेंज हो गया है । अभी हमलोग मथुरा स्टेशन से बाहर निकले ही होंगे कि बगल वाले डिब्बे से कुछ आवाजें आ रही थी, तभी टिटी वहां आए मैं उत्सुकतावश उन से पूछा”बगलवाले डिब्बे में क्या शोर हो रही है”उसने कहा “इस ट्रेन की रुट चेंज हो गई है”मैं उनकी बात सुनकर बिल्कुल घबरा गई,”ये ट्रेन कोटा तो जाएगी” “मालुम नहीं नई रुट की हमें कोई जानकारी नहीं है”उसने कहा ये कहकर वो चला गया।मैं बहुत परेशान हो गई आसपास के लोगों से पूछा किसी ने कुछ न कहा क्योंकि हमारे आसपास मुक बधिरों की पूरी टोली थी।उस टोली में १५-२९लोग थे सभी के सभी मुक-बधिर सिर्फ एक आठ साल का लड़का था जो बोल सुन सकता था उससे बस इतना ही पता चला वो सभी लोग गोवा जा रहे हैं।ये ट्रेन भी गोवा एक्सप्रेस थी।मैं बहुत घबरा गई फिर भी मैंने बच्चों को वहां छोड़ कर दूसरे बोगी में पता करने गई। किसी से जब ये मालूम हुआ कि ये ट्रेन कोटा जाएगी ही नहीं मेरे तो होश ही उड़ गए कुछ सूझ नहीं रहा था क्या करूं? तभी भैया फोन आया कि हमलोग कितनी देर में कोटा पहुंचेंगे जब मैंने उन्हें बताया कि ट्रेन कोटा नहीं जाएगी तो वो परेशान हो गए कुछ सोचते हुए उन्होंने कहा कोटा से पहले नागदा स्टेशन आता है वहां तुम लोग उतर जाना मैं लेने आ जाऊंगा। मैंने थोड़ी राहत की सांस ली। लेकिन ये राहत थोड़ी ही देर की थी जब मुझे ज्ञात हुआ ये ट्रेन नागदा भी नहीं जाएगी।घबराहट के मारे मेरा बुरा हाल था बच्चों कि वज़ह और भी परेशान हो गई। रात के ९बज गए थे मुझे कुछ भी पता नहीं था ये ट्रेन कहा जा रही है । तभी मेरे पति का फोन आया उनकी आवाज सुनकर मुझे तो आ गया उन्होंने समझाते हुए कहा” रात हो गई है अपना ध्यान रखना!अगला जो भी बड़ा स्टेशन आए वहां उतर जाना और मुझे बताना” इतना कहकर फोन रख दिया। मैंने जल्दी जल्दी अपना सामान समेटा और गेट पास खड़ हो गई लगभग १बजे इटारसी स्टेशन ट्रेन पहुंची ।हमलोग नीचे उतर गए स्टेशन पर ज्यादा लोग नहीं थे । मैंने टिकट काउंटर जा कर पता कि यहां से कोटा कौन सी ट्रेन जाती, यहां से कोई भी ट्रेन कोटा नहीं जाती है ।कोटा के लिए ट्रेन भोपाल से मिलेगी।तभी भैया का फोन आया वो भी काफी परेशान थे मैंने सारा हाल सुनाया उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा “तुम लोग भोपाल आ जाओ मैं भी भोपाल पहुंचता हूं अगली ट्रेन से हमलोग भोपाल पहुंचे ।सुबह तक भैया भी भोपाल पहुंचे , वहां हमलोग ट्रेन से कोटा आए। हमलोग ने भैया के घर पहुंच कर राहत की सांस ली।हमारा १२घंटो का सफ़र ४८घंटो में पूरा हुआ।कई साल हो गए मगर ये घटना जेहन में आज भी ताजा है।
विभा कुमारी “नीरजा”