कलम
माँ शारदे का वरदान होती है कलम ,
अंतर्मन के मूक भावों को ,
कागज पर उकेर देती कलम ।
समाज में फैली कुरूतियों पर ,
तीखा तेज प्रहार करती कलम ,
जन-जन में जाग्रति लाती ,
भटके समाज को सही दिशा दिखाती ,
होती है बलशाली कलम ।
निर्धन का धन होती है ,
निर्बल का बल होती कलम ।
शब्दों का जादू चलाकर ,
मीठे शब्दों की माला बनाकर ,
सबको अपना बना लेती कलम ।
पर दुश्मनों को दहला देती ,
अंदर तक है हिला देती ,
जब चलती बेबाक कलम ।
इसीलिए बहुत सोच-समझकर,
फिर थामिए हाथ में कलम ,
क्योकि तलवार से भी तेज धार होती है कलम ।
कवियों की कविता है कलम ,
विधार्थियों का भविष्य है कलम ,
धर्म संस्कृति की रखवाली है कलम ,
देश की शान है कलम ।
राष्ट्र की बुलन्द आवाज बन जाती ,
जब चलती बेखौफ कलम ।
सभी अस्त्र -सस्त्र में न्यारी होती ,
सत्य की राह में चलती कलम ।
आदर से जो इसे अपनाता ,
बन जाती उसकी पहचान कलम ,
सटीक विषय पर जब चलती है ,
कर देती मालामाल कलम ,
इसीलिए तो माँ शारदे का ,
वरदान होती है प्यारी कलम ।
— सीता देवी राठी