गीत/नवगीत

प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है

प्रेम अमर है,  कभी न मरता,  प्रेम,  प्रेम का, जीवन है।
प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही, प्रेम का, पूजन है।।

प्रेम न देखे, उम्र की सीमा।
प्रेम ही है, बस, प्रेम का बीमा।
परंपराओं में, प्रेम न बँधता,
प्रेमी को, प्रेम ही, बड़ी हसीना।
प्रेम,  प्रेम का, पथ प्रदर्शक, प्रेम विश्वास का, खीवन है।
प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही, प्रेम का, पूजन है।।

प्रेम ही जीने की इच्छा है।
प्रेमी न लेता,  परीक्षा है।
प्रेम ही चाह, प्रेम कामना,
प्रेम की, मिले न भिक्षा है।
प्रेमाराम की,  प्रेम कामना, प्रेम ही,  प्रेमा का, जीवन है।
प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही, प्रेम का, पूजन है।।

प्रेम ही नर है, प्रेम है नारी।
प्रेम, प्रेम पर, नहीं है भारी।
नर को नारी का प्रेम चाहिए,
नारी! प्रेम में, उतारे  सारी।
प्रेमी को, तन-मन सब अर्पण, प्रेम का, प्रेम ही, जीवन है।
प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही, प्रेम का, पूजन है।।

प्रेम नहीं है, केवल भावना।
प्रेमी करे न, कोई कामना।
सब कुछ देना, सब कुछ पाना,
नहीं है, केवल, हाथ थामना।
प्रेम में हँसना, प्रेम में रोना, पथिक को, प्रेम ही, जीवन है।
प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही, प्रेम का, पूजन है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)