ओडीएफ क्या ?
गाड़ी रफ़्तार में थी और पटरी पर दौड़ रही हो और उषाकाल का समय हो यानी सूर्योदय हुआ नहीं है । आप पटरी किनारे देख सकते हैं, ऐसे नज़ारे, जो सरकार की योजना ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्ति को खुले में चुनौती दे रहे होते हैं।
एक बड़ा जंक्शन आते-आते ट्रेन पर सुबह हो जाय, तो देखिए मल, शिश्न आदि गुप्त अंग, किन्तु आपको खुले में शौच करनेवालों या वालियां जो हो, उबके मुँह दिखाई न देंगे!
सरकार चिल्लाते रहे, किन्तु हम आम जनता खुले में मल त्यागते रहेंगे! यह सिर्फ उस जंक्शन के पास पटरियों के इर्द-गिर्द मल त्याग रहे लोगों की बात नहीं, सुबह की ट्रेन यात्रा पर कहीं भी ऐसे नज़ारे दिखाई पड़ने ही है!