सिर्फ़ ‘वर’ गदगद न हो !
सावित्री को प्रणाम,
सावित्री के वट को भी
सादर प्रणाम !
सावित्री-सत्यवान की
जोड़ी बने सबकी !
गुरु लिए गुरुवार आज
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु,
गुरु देव महेश्वर।
पर भीड़ से बचना है,
महामारी अब भी है।
पर इस युग में
सिर्फ वट ही क्यों ?
पीपल क्यों नहीं ?
पीपल की पूजा होती है,
आँवला की भी,
सबके लिए
अलग-अलग दिन
निर्धारित हो !
पर पीपल ज्यादा ही
ऑक्सीजन देती है,
आँवला विटामिन-सी !
वट की आयु काफी है,
जगह ज्यादा घेरती है,
उपज कम !
मेरा मत है, दोस्त !
आपको सुखमय जीवन
प्राप्त हो
कि लेकर दोनों
उपवास या फलाहार
सादर प्रणाम !
मायने यह नहीं
कि सावित्री को
सत्यवान जैसे पति
या सत्यवान को
सावित्री जैसी पत्नी मिले !
अपितु रिश्ते में दरार न हो,
सुखमय रहे ताउम्र दोनों !
कोई क्लेश नहीं हो,
द्वेष नहीं हो,
मन-तन में !
जीवन लंबी नहीं,
जितनी भी हो,
उपयोगी हो,
राग-द्वेष से मुक्त हो !
वरगद हो,
पर सिर्फ वर ही
गद गद ना हो !