कविता

सिर्फ़ ‘वर’ गदगद न हो !

सावित्री को प्रणाम,
सावित्री के वट को भी
सादर प्रणाम !
सावित्री-सत्यवान की
जोड़ी बने सबकी !
गुरु लिए गुरुवार आज
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु,
गुरु देव महेश्वर।
पर भीड़ से बचना है,
महामारी अब भी है।
पर इस युग में
सिर्फ वट ही क्यों ?
पीपल क्यों नहीं ?
पीपल की पूजा होती है,
आँवला की भी,
सबके लिए
अलग-अलग दिन
निर्धारित हो !
पर पीपल ज्यादा ही
ऑक्सीजन देती है,
आँवला विटामिन-सी !
वट की आयु काफी है,
जगह ज्यादा घेरती है,
उपज कम !
मेरा मत है, दोस्त !
आपको सुखमय जीवन
प्राप्त हो
कि लेकर दोनों
उपवास या फलाहार
सादर प्रणाम !
मायने यह नहीं
कि सावित्री को
सत्यवान जैसे पति
या सत्यवान को
सावित्री जैसी पत्नी मिले !
अपितु रिश्ते में दरार न हो,
सुखमय रहे ताउम्र दोनों !
कोई क्लेश नहीं हो,
द्वेष नहीं हो,
मन-तन में !
जीवन लंबी नहीं,
जितनी भी हो,
उपयोगी हो,
राग-द्वेष से मुक्त हो !
वरगद हो,
पर सिर्फ वर ही
गद गद ना हो !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.