डायरी के पन्ने
हमारे गाँव के किसान चचाएँ कह रहे थे, इसबार मकई में घाटा लगा । बोने से लेकर काटने के वक्त तक 1,000 रुपये प्रति क्विंटल लागत आई थी । आज जब बेचने की बारी आई, तो मकई 1,000 रुपये प्रति क्विंटल ही बिक रहा है, उनमें भी राज्य सरकार व FCI गोदाम हेतु बेचने पर रुपये 2-3 माह बाद ही मिलेंगे! बोने से लेकर विक्रय तक के 5-6 महीने का परिश्रम फोकट में ही चला गया! सोचिये, इन किसानों के कर्णधारों! हे परमवीरों, अपने-अपने तोन्दुअल पेट सिर्फ सहलाया न करो! सावधान, महामहोपाध्याय आ रहे हैं !
ग्रीष्मावकाश का अंतिम सप्ताह है । गर्मी की भरी जवानी में कुछेक कमरे के विद्यालय में मानव संसाधन का पावर हाउस से बिजली नहीं, अपितु घाम-पसीना और पदगैसों के गुब्बार निकलेंगे, शिक्षालय गर्मी की इस भरी जवानी में दुर्गन्धयुक्त अगरबत्ती से भकभकायेगी । इधर बच्चों के गार्जियन कहेंगे, आ गए मस्टरवा, मास्टरनी…. मुफत के खाने और मौज़ करने! जबकि बिहार सरकार नियोजितवा को आजतक किसी भी माह के 1 या 5 तारीख को वेतन नहीं प्रदान कर सका है । गार्जियन दौड़ेंगे, उनके बच्चे के खाते में रुपये नहीं चढ़े! बच्चे देखते हैं कि उनके गुरु और गुरुमाताएँ प्रेम-पींगे लड़ाने में हैं व्यस्त! जिस मास्टरनी के हस्बैंड (हँसने में प्रतिबंध) अगर मस्टरवा नहीं है, तो पत्नी पर शक ही शक! इस पति का कितने मजे से ग्रीष्मावकाश में मस्ती कट रहा था । इधर ही दार्जिलिंग घूम आए हैं ! देखें, 12 जुलाई को बिहारी शिक्षा बंटाधार होने से बच पाती है या नहीं!
खैनी (तम्बाकू सेवन) पर विवाद ! आज के युवा शेर जैसा साहस रखते हैं, पर यही युवा इस अतिप्रगतिशील 21वीं सदी में खैनी, शराब, लड़की और सिगरेट की फूँके मारने जैसे अप्रगतिशील कार्य कर अपने जीवन को “बर्बाद” कर रहे हैं । क्या हम इसतरह के साहसी-युवा बनने जा रहे हैं, जो कि बहादुरी की शेखी बघारते हैं और अपने दिनचर्या को बदल नहीं कर पा रहे हैं तथा हम कहते हैं- “हम देश के भविष्य हैं !”
बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों में खैनी खाने का प्रचलन है । ऐसा सुना है, देश के प्रथम राष्ट्रपति, पूर्व रेल मंत्री से लेकर ग्रुप-डी कर्मी तक इसका सेवन किए हैं/करते हैं ! ’80 चुटकी, 90 ताल, खाके खैनी, जीओ 100 साल’ यह पंचलाइन बकवास के सिवाय और कुछ नहीं! तम्बाकू-पत्ता और चूना से तैयार खैनी भी नशा है । बिहार में इधर यह खूब चर्चा में रही कि बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को इसके खाने पर प्रतिबंध को लेकर प्रस्ताव भेजा है, हालांकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसे किसी प्रस्ताव को लेकर अनभिज्ञता प्रकट की है, तथापि खैनी भी एक नशा है, जिनका लत ठीक नहीं है, इनसे भी गम्भीर रोग होते हैं और इस पर नशा सेवन की तरह रोक लगनी ही चाहिए।
इंटर साइंस टॉपर पर इसबार भी विवाद ! बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 के तीनों संकायों का रिजल्ट आ गया है, गत वर्ष की तुलना में इसबार उनसे अधिक परीक्षार्थियों ने सफलता अर्जित किए हैं । कॉमर्स संकाय में नब्बे फीसदी से अधिक परीक्षार्थी सफल हुए हैं। किंतु मेडिकल पढ़ाई हेतु ‘नीट’ प्रवेश परीक्षा में आल इंडिया टॉपर सुश्री कल्पना कुमारी ही बिहार की इंटरमीडिएट साइंस परीक्षा में टॉपर हैं । साइंस में द्वितीय टॉपर सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र रहे हैं और सिमुलतला आवासीय विद्यालय के प्राचार्य ने यह आरोप लगाया है कि कल्पना कुमारी दिल्ली के कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करती थी, तो फिर वे अपने इंटर कॉलेज में पढ़ाई हेतु कब हाजिरी बनाई? इसतरह से क्लास बंक कर दिल्ली में रहना चीटिंग है । इसप्रकार सिमुलतला के छात्र ही असली टॉपर है । बिहार बोर्ड और विवाद के बीच दशकों से चोली-दामन का सम्बंध रहा है।