सत्ता से चिपके रहना भी बीमारी है !
अपना भारत में राजतन्त्र नहीं, लोकतंत्र है ! हम ‘राजस्थान’ का नाम बदलकर ‘लोकस्थान’ कब रख रहे हैं? राजस्थान नाम रहेंगे, तो महारानी तो सत्ता में आएगी ही ! पूर्व राष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत के बाद ‘राजस्थान’ में भाजपा की तरफ से आम लोगों का अभाव दिखा है। राजस्थान में ‘आम’ जन ‘मुख्यमंत्री’ के उम्मीदवार हों, तो भाजपा वहाँ फिर आयेगी या फिर !
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विराट के बल्ले का बल्ले-बल्ले होते थे ! धारा- 107 लगाए, लगातार 3 शतक, 50 ODI शतक से 12 दूर ! न मैं हारा सीरीज, न तू हारे हो सीरीज ! फिर India बनाम West Indies का बल्ले-बल्ले !
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दर-दुनिया के राष्ट्रपति महोदयों को क्या हो गया है, जूनियर पद में आते जा रहे हैं ? श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ‘प्रधानमंत्री’ बने! रूस के राष्ट्रपति रहते फिर ‘प्रधानमंत्री’ बने थे- व्लादिमीर पुतिन ! अब फिर राष्ट्रपति हैं ! भारत में एक समय प्रधानमंत्री देवगौड़ा जी प्रधानमंत्री बनने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनना चाह रहे थे ! बाबूलाल गौर, नारायण राणे, पनीर सेल्वम इत्यादि मुख्यमंत्री बनने के बाद उप-मुख्यमंत्री व राज्य के कैबिनेट मंत्री बन बैठे ! यह सत्ता रोग ‘कैंसर’ से भी खतरनाक है!