योग
जीवन जीना सरल बहुत
अगर समझ लें लोग
करें सदा मनोयोग से
हर दिन थोड़ा योग।
हजारों सालों की विद्या
क्यों लगती अब ढोंग
आओ करें मिलकर सभी
पुनर्जीवित ये योग।
साँसे कम होतीं नहीं
जो करते रहते योग
हमको करना था यहाँ
अपना ही सहयोग।
इस शतक के रोग से
क्यों जाते इतने लोग
अगर नियम से देश में
घर-घर होता योग।
दे गया गहरा ज्ञान भी
कोरोना का यह सोग
औषधि लेते रहते पर
संग करते हम सब योग।
चमत्कार ये योग बना
दूर भगा दे रोग
तन अपना मंदिर बना
पूजा अपना योग।
जीवन के अवलम्ब हैं
प्रकृति, ध्यान व योग
तन का मन का हो नियम
सरल साधना जोग।
– जेन्नी शबनम (9. 6. 2021)
(अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, 21. 6. 21)
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