ग़ज़ल
इस तरह ख्वाब में आकर न परेशान करो |
प्यार आंखो से जता कर न युँ हैरान करो |
रूबरू आके मेरी जान लगा लो दिल से –
मेरे हमदम मेरी चाहत पे ये अहसान करो |
जाम नज़रों के पिये खूब पिलाये तुमने –
लड़खड़ाते है कदम साजो सामान करो |
मेरी चाहत तेरी खुशबू से महक जायेगी –
अपनी चाहत से सनम मुझको निग़हबान करो |
गुल बिखर जाएँगे चाहत का कुछ सिला तो दो –
मशवरा तुमको है पूरा जरा अरमान करो |
इश्क पूजा है इबादत है धर्म इमां है –
इश्क आबाद हो ऐसा चलो सामान करो |
श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ