गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

इस तरह ख्वाब में आकर न परेशान करो |
प्यार आंखो से जता कर न युँ हैरान करो |

रूबरू आके मेरी जान लगा लो दिल से –
मेरे हमदम मेरी चाहत पे ये अहसान करो |

जाम नज़रों के पिये खूब पिलाये तुमने –
लड़खड़ाते है कदम साजो सामान करो |

मेरी चाहत तेरी खुशबू से महक जायेगी –
अपनी चाहत से सनम मुझको निग़हबान करो |

गुल बिखर जाएँगे चाहत का कुछ सिला तो दो –
मशवरा तुमको है पूरा जरा अरमान करो |

इश्क पूजा है इबादत है धर्म इमां है –
इश्क आबाद हो ऐसा चलो सामान करो |
श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016