मुक्तक/दोहा

दोहे

योग की महत्ता पर दोहे
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1
नियम ध्यान जप योग से ,रोग रहें सब दूर ।
बलशाली तन मन बने,सुख होवे भरपूर ।।

2 –
योग साधना से सदा ,होता है कल्याण ।
पीड़ा दूर रहे सदा ,करे जो योगा ध्यान ।।

3-
शुद्ध हवा में बैठ के,कर अनुलोम -विलोम ।
और भ्रामरी की क्रिया,खोल सभी दे रोम ।।

4
काया को निर्मल करे,योग सुखों की खान ।
स्फूर्ति तन मन बढ़े,जीवन गति आसान ।।

5
समझो अब इस बात को,अपनाओ सब योग ।
भोग बढ़ाता रोग है,योग भगाता रोग।।

6
आसन प्राणायाम संग ,करें समाधी ध्यान।
तन मन भी पावन बने,मानव बने सुजान ।।

7
हर अवसाद मिटा सकें,भरे नवल उत्साह ।
योग शक्ति दृढ़ता भरे,साफ दिखे हर राह ।।

7
नयन ज्योति न क्षीण हों,श्रवण रन्ध्र खुल जाय।
जोड़ -जोड़ गतिमय रहे,उत्तम काया पाय ।।

8
हो बलिष्ट तन मन सदा , अनुशाषित हों काम,
न प्रमाद आलस टिके, सुख का है यह धाम ।।

9
आधि व्याधि टिकती नहीं,जो करता है योग ।
विजयी हो हर क्षेत्र में ,जीवन जिये निरोग ।।

10
नियमित योग करो सभी, सदा रहोगे स्वस्थ ।
जीवन संकट मुक्त हो ,हो जाओ आश्वस्त।।

11
ऋषि मुनियों की खोज यह,है विशुद्ध विज्ञान ।
अष्ट योग अपना मनुज ,रख खुद अपना ध्यान ।।

12
हर एक आसन की क्रिया,तन मन करे बलिष्ट ।
योग शास्त्र कहता यही,कहे पारखी दृष्टि ।।

13
समझो अब इस बात को,रोज करो सब योग ।
विषम समय यह सम करे,योग भगाए रोग ।।
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ
21/6/21

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016