कोरोना महामारी पर राजनीति कब तक?
एक ओर देश में कोविड की महामारी की दूसरी लहर अब तेजी से थम रही है और देश अनलाक की प्रक्रिया से गुजर रहा है, वहीं दूसरी ओर देशभर में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण अभियान भी तेज गति से चल पड़ा है। लेकिन यह देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि लाख प्रयासों के बाद भी कोरोना पर राजनीति लगातार जारी है। कांग्रेस सहित देश का समूचा विपक्ष अपनी विफलताओं और राज्य सरकारों की नाकामी को छिपाने के लिए ट्विटर के माध्यम से केंद्र सरकार व बीजेपी शासित राज्यों के खिलाफ हमलावर है। यह बात अब बिल्कुल सत्य हो रही है कि विपक्ष मोदी सरकार को घेरना चाहता है और सरकार पर इतना दबाव बनाना चाहता है कि पीएम नरेंद्र मोदी अपना इस्तीफा देकर चले जायें, लेकिन विपक्ष को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि उसके सपने कभी कामयाब नहीं होंगे।
विपक्ष का सरकार के खिलाफ अभियान सुनियोजित रणनीति के तहत चलाया जा रहा है। अभी देश में कोविड की तीसरी लहर के बारे में कई भ्रांतियां हैं और विशेषज्ञों में मतभेद भी है लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पता नहीं कहां से आभास हो गया है कि वह कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बयान दे रहे हैं और वे तीसरी लहर से बचाव के लिए एक श्वेतपत्र लेकर आये हैं, जिसमें वे सरकार को कुछ सलाह दे रहे हैं। वे कह रहे हैं कि सरकार को अभी से ही आक्सीजन, बेड, वेटिलेंटर व दवाईयों आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिये। वह टीकाकरण अभियान को भी तेज गति से चलाने की बात कह रहे हैं। वह गरीबों के खाते में सीधे धन उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। जिस दिन राहुल गांधी ने ट्विट किया उसी दिन सपा नेता अखिलेश यादव ने उप्र में मौतों के आंकड़े छुपाने को लेकर एक ट्विट कर खलबली मचाने का असफल प्रयास किया। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राहुल गांधी विचारों से दिग्भ्रमित नेता हैं या फिर वह नाटक कर रहे हैं। राहुल गांधी व अन्य विरोधी दलों के नेता बीजेपी सरकारों व नेताओं की छवि को खराब करने के लिए टूलकिट अभियान चला रहे हैं।
कांग्रेस व विरोधी दलों के नेता अब मांग कर रहे हैं कि विरोधी दलों की सरकारों को अधिक मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध करायी जाये। अब यह बात पूरा देश अच्छी तरह से जान गया है कि कोरोना वैक्सीन की सबसे अधिक बर्बादी का खेल कांगे्रस शासित राज्यों व विरोधी दलों की राज्य सरकारों में खेला गया है, जिसके कारण ही अब वैक्सीनेशन अभियान की सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने ले ली है। राजस्थान के 8 जिलों में कोरोना के टीके डस्टबिन में पड़े मिले और राज्य में 11.50 लाख डोज बर्बाद हुई। राजस्थान में तो कोरोना का टीकाकरण अभियान भी भेदभावपूर्ण तरीके से चलाया गया। वहां से ऐसी खबरें प्राप्त हुई हैं कि जहां पाकिस्तान से आये हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं, वहां पर टीकाकरण अभियान नहीं चलाया जा रहा है। सरकार के कुछ मंत्री व खास विधायक टीकाकरण अभियान में मनमानी कर रहे थे जिससे आजिज आकर केंद्र सरकार को सारा अभियान अपने हाथों में लेना पड़ा है। राजस्थान के हर जिले में वैक्सीन की जमकर बर्बादी की गयी है। यही हाल झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का भी रहा है। झारखंड में 37 प्रतिशत वैक्सीन और छत्तीसगढ़ में 30 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी दर्ज की गयी है।
पंजाब में तो कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार के संरक्षण में ही बहुत बड़ा घोटाला प्रकाश में आ गया था। जहां निजी अस्पतालों को महंगी वैक्सीन की डोज बेच दी गयी थी और निजी अस्पताल पीड़ितों से मनमाना दाम वसूल कर रहे थे। कोराना वैक्सीनेशन अभियान में यह बात भी देखने को मिली की जिन राज्यों में कांग्रेस व अन्य दलों की सरकारें हैं, वहां पर टीकाकरण कराने के बाद जो प्रमाणपत्र दिया जाता है उसमें पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो लगी होती थी जिसे हटाकर विरोधी मुख्यमंत्रियों ने वहां अपनी फोटो लगवा ली। इसकी शुरूआत सबसे पहले बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने की थी। यह कैसी विकृत राजनीति है!
राहुल गांधी व कांगे्रस पार्टी को ज्ञान बांटने की बजाय अपनी कमियों पर ध्यान देना चाहिये। कोरोना पर मौतों का आंकड़ा भी केंद्र सरकार नहीं छुपा रही है। लेकिन कांग्रेस नेताओं की मिलीभगत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करने के लिए विदेशी समाचारपत्रों में लेख प्रकाशित करवाये गये कि भारत में कोरोना से बहुत अधिक मौतें हुई है। जबकि वास्तविकता यह रही है कि कोरोना का सबसे बुरा हाल दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ही रहा है और इन राज्यों के कुप्रबंधन का असर पूरे देश पर पड़ा। आज वही कांगे्रस एक बार फिर केंद्र सरकार व बीजेपी शासित राज्यों की छवि को खराब करने के लिए नये पैंतरे लेकर निकल पड़ी है।
यह पूरी तरह से दिग्भ्रमित कांग्रेस है। ऐसा लग रहा है कि जब देश में कुछ अच्छा होने लगता है तो यह बात राहुल गांधी व कांग्रेस को पचती नहीं है। वह देश में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन अगर टीकाकरण अभियान को पूरी ताकत के साथ विफल करने का अभियान किसी ने चला रखा है, तो वह विरोधी दलों के नेता ही हैं। टीकाकरण पर देश की जनता को धर्म व जाति के आधार पर बांटने व दिगभ्रमित करने काम काम विरोधी दलों के नेता ही कर रहे है। टीकाकरण के खिलाफ सर्वाधिक अफवाहें ग्रामीण क्षेत्रों व अशिक्षित क्षेत्रों में फैलायी जा रही हैं। कहीं जा रहा है कि टीका लगवाने के बाद लोगों में बच्चे पैदा करने की क्षमता समाप्त हो रही है। कहीं टीकाकरण के बाद मौत होने व बीमारी होने की अफवाहें फैलायी जा रही हैं। यही कारण है कि कई जगहों पर डाक्टरों की टीमों पर ग्रामीण हमले कर रहे हैं। समाजवादी दल के मुस्लिम सांसदों ने तो वैक्स्ीनेशन पर जहर उगलने वाले बयान दिये। अभी कांग्रेस की ओर से अफवाह उड़ा दी गयी थी कि वैक्सीन में गाय के बछड़े का खून मिला हुआ है।
आज देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान सफलता के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है। जनमानस में जो भ्रम फैलाया जा रहा था वह अब टूट रहा है। वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ उमड़ रही है। यह बात राहुल गांधी व विरोधी दलों को रास नहीं आ रही। अब यह बात साबित हो रही है कि कांग्रेस कोरोन वैक्सीन को लेकर केवल राजनीति कर रही है और वह महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही है। जब भी देश में कुछ अच्छा होता है तो कांग्रेसियों को उससे चिढ़ होती है। कोरोना की लड़ाई में जब भी निर्णायक मोड़ आये, कांग्रेस पार्टी ने राजनीति करने और कोरोना से इस लड़ाई को डिरेल करने का काम किया है। कांगे्रस शासित राज्यों ने कोवैक्सीन को लेकर इंकार किया और वहां सर्वाधिक मृत्युदर रही। अभी तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी व उनके परिवार के सदस्यों ने वैक्सीन नहीं लगवायी है और कई अन्य कांग्रेसी नेताओं ने भी यही काम किया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कांग्रेस नेता को यह नहीं पता कि श्वेतपत्र जारी कब किया जाता है। श्वेतपत्र जब कोई काम पूरा हो जाता है तब जारी किया जाता है या तब जब देश व राज्यों में आर्थिक हालात बेहद खराब हो रहे हो। तब भी श्वेतपत्र जारी करना कोई अनिवार्य नहीं होता।
कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे संतुलित भाषा का इस्तेमाल बसपा नेत्री बहिन मायावती कर रही हैं। उनका कहना है कि अब कोरोना और वैक्शीनेशन को लेकर राजनीति बंद होनी चाहिए और सभी का टीकाकरण होना चाहिए।
— मृत्युंजय दीक्षित