कविता

परीक्षा

जीवन भी एक परीक्षा है
बस ! अंतर केवल इतना भर है
कि यहां आपकी
कोई निगरानी नहीं करता,
मगर जो करता है
वो आपको दिखता नहीं है।
यह कैसी अजीब परीक्षा है
कि निगरानी करने वाले से
आप बच नहीं सकते,
लाख कोशिश कर लें
मगर छुप नहीं सकते।
अच्छा है इस जीवन भर
चलने वाली परीक्षा को
ईमानदारी से ही दीजिये,
उसकी आँखों में धूल झोंकने की
तनिक भी कोशिश न कीजिए ।
क्योंकि आपके
हर पल की परीक्षा का
मूल्यांकन सदा चलता रहता है,
आपके दुनियां से जाने तक
आपकी परीक्षा और मूल्यांकन
साथ साथ चलता है,
परीक्षा परिणाम आपको
महसूस हो या न हो
आपके बाद दुनियां को
जरूर पता चलता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921