कोरोना की तीसरी लहर को विफल करने, अर्थव्यवस्था को खोलने, जनभागीदारी मंत्र की तात्कालिक आवश्यकता
जनभागीदारी से ही कोरोना का खात्मा संभव – हर हाथ को आहुति डालनी होगी – एड किशन भावनान
गोंदिया – भारत सहित वैश्विक रूप से अभी कुछ दिनों से कोरोना का प्रकोप कम होता जा रहा है और संक्रमण की दर पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। भारत में कुछ सेवाओं पर पाबंदियां व नियंत्रण को छोड़ दें तो भारत करीब-करीब अनलॉक की ओर बढ़ गया है और शीघ्र ही पूर्ण अनलॉक हो जाएगा ऐसी हम उम्मीद करते हैं। एक प्राचीन कहावत है कि जो मनुष्य अपने पुरुषार्थ पर यकीन रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से कठिन परिश्रम करता है या कोई भी काम जनभागीदारी से करता है तो सफलता उसके कदम चूमती है और यदि वह काम या चुनौती सामूहिक रूप से हो तो जीत सुनिश्चित है। इसलिए सफलता का मूल मंत्र है जनभागीदारी। परंतु इस उम्मीद इस को पूरा करने के लिए अगर सबसे अधिक जरूरत है, तो वह है जनभागीदारी की। इसके बिना पूर्ण अनलॉक की कल्पना करना कठिन है।…बात अगर हम जनभागीदारी की करें तो यह कोरोना महामारी को जड़ से मिटाने के लिए अत्यंत अनिवार्य कड़ी है। क्योंकि भारत के हर व्यक्ति को इस कोरोना रूपी दानव को भगाने के लिए, कोवड एप्रोप्रियेट बिहेवियर, रूपी यज्ञ में हर हाथ को आहुति देनी होगी। दूसरे शब्दों में जनभागीदारी मंत्र को अपनाना बहुत जरूरी है हम सब मिलकरअगर कोविड नियमों का पालन, वैक्सिंग लगवाने में सहयोग, टीकाकरण अभियान को गांव-गांव और घर-घर पहुंचाने में सहयोग, शासन-प्रशासन, फ्रंटलाइन वर्कर्स, कोरोनावरियर्स से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग, रूपी आहुति देंगे तो, क्या दम है कि, तीसरी लहर का, कि भारत की ओर आंख उठाकर भी देखें!!! जनभागीदारी में इतनी ताकत है कि वह अनहोनी को होनी और होनी को अनहोनी कर सकते हैं। इसीलिए कोरोना महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए युवाओं बुजुर्गों एवं बच्चों को कोरोना से प्रभावित करने में विफल करने के लिए जन भागीदारी के मंत्र को अपनाना तात्कालिक आवश्यक कदम है।…बात अगर हम नीति आयोग के मंगलवार दिनांक 22 जून 2021 की प्रेस कॉन्फ्रेंस की करें तो, स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस रिलीज के अनुसार राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह के अध्यक्ष ने भी कहा कि, जनभागीदारी और जागरूकता, वैक्सीन के प्रति हिचक दूर करने के लिये जरूरी हैं। एनटीएजीआई के अध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि टीकाकरण के प्रति अफवाहों और गलतफहमियों को दूर करने के लिये जन-भागीदारी और जागरूकता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, जन -भागीदारी और जन-जागरण, टीकाकरण के भय को मिटाने के लिये बहुत अहम हैं। आखिर में यह लोगों के ही वश में है कि वे आगे आयें और टीके लगवायें। उन्होंने टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाने की तैयारियों का जिक्र किया और बताया कि आशा कर्मियों तथा अग्रिम मोर्चे के कर्मियों ने मैदानी स्तर पर काम शुरू कर दिया है, ताकि वैक्सीन के प्रति हिचक और शंका को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा, दूसरी लहर अब कम हो गई है और यह कोविड19 वैक्सीन लेने का सबसे अच्छा समय है, उन्होंने लोगों की भागीदारी और जन जागरूकता के महत्व पर जोर दिया टीकाकरण के डर को मिटाने के लिए जनभागीदारी और जन जागरण बहुत जरूरी है। आखिरकार यह जनता के हाथ में है कि वह आगे आए और टीका लगवाएं। उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि देश में टीकों की कोई कमी नहीं होगी और टीकाकरण अभियान पहाड़ी, आदिवासी और बहुत कम आबादी वाले क्षेत्रों सहित सभी तक पहुंचेगा। वही नीति आयोग के सदस्य ने भी कहा और याद दिलाया कि यदि कोविड से बचने के लिये उचित कोविड व्यवहार का पालन किया जाये और साथ में ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगा दिये जायें, तो तीसरी लहर को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, अगर कोविड को देखते हुये हम उचित व्यवहार करें और अपने को टीका लगवा लें, तो तीसरी लहर क्यों आयेगी?? ऐसे तमाम देश हैं, जहां दूसरी लहर नहीं आई। अगर हम कोविड उचित व्यवहार का पालन करेंगे, तो यह समय भी गुजर जायेगा। भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने और सामान्य काम फिर से शुरू करने में सक्षम बनानेके लिए टीकाकरण के महत्व को महत्पूर्ण बताते हुए कहा, हमें अपना दैनिक कार्य करने, अपने सामाजिक जीवन को बनाए रखने, स्कूल, व्यवसाय खोलने, अपनी अर्थव्यवस्था की देखभाल करने की आवश्यकता है, हम यह सब तभी कर पाएंगे जब हम तेज गति से टीकाकरण कर पाएंगे जाहिर है, निर्णय, नीति क्रियान्वयन में यदि लोक की भागीदारी होती है तो यह स्वयं उसकी सशक्तता एवं प्रेरित होने का प्रतिबिम्ब होगा। इस तरह ये तीनों शब्दावलियां एक दूसरे से अंतर्संबद्ध हैं। तेज टीकाकरण सामान्य दिनों की तरफ वापसी की कुंजी। नीति आयोग के सदस्य ने तेज टीकाकरण के महत्व को रेखांकित किया, ताकि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को खोल सके और सामान्य कार्य-कलाप दोबारा शुरू हो सकें। उन्होंने कहा, हमें जरूरत है कि हम अपना रोजमर्रा का काम कर सकें, अपना सामाजिक जीवन जी सकें, स्कूल खुल जायें, व्यापार चलने लगें, हम अपनी अर्थव्यवस्था की देखभाल कर सकें, तो हम ये सब तभी कर सकते हैं, जब हम तेज गति से टीकाकरण करेंगे। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो, कोरोना की तीसरी लहर को विफल करने, अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए जनभागीदारी मंत्र की तात्कालिक आवश्यकता है। क्योंकि जन्मदिन भागीदारी से ही कोरोना का खात्मा संभव है सफलता का मूल मंत्र ही जनभागीदारी है। इसके लिए भारत के हर नागरिक को, हर हाथ को, कोरोना रूपी दानव को भगाने के लिए जनभागीदारी रूपी यज्ञ में आहुति डालनी होगी।
*-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*