कविता

/ विश्वास छोड़ूँगा नहीं/

/ विश्वास छोड़ूँगा नहीं/

लिखना चाहता हूँ,
टूट गयी मेरी कलम की नोक
बोलना चाहता हूँ,
बाँधी गयी मुँह पर पट्टी
चलना चाहता हूँ,
बंधे गये मेरे हाथ – पैर
बोझ बनाया सिर पर भार।

मेरे मन की, तन की अस्वस्थता
मिट जाएगी संकल्प की चेतना में
विश्वास बनाये रखूँगा भरपूर
मेरा भी एक दिन होगा
सबको तोड़़कर चलूँगा
इतिहास का एक पन्ना,
महान विचारों के साथ
गौरव गाथा मेरी भी होगी।

जाति, प्रांत, साँप्रदायिक धंधा
काल की कठोरता में
कुटिल तंत्रों का जाल
जरूर ध्वस्त होगी।

समता-बंधुता का सौध
संवैधानिक मूल्यों का बोध
हर अंतश्चेतना में विकसित होगा।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।