तुम नहीं आये सजन तो फूल मुरझाने लगे
गीत अधरों पे सजाया याद तुम आने लगे।
मौन रिमझिम की फुहारें और निर्झर शांत हैं
पीत पातों से भरे उपवन बहुत ही क्लांत हैं।
अब कहाँ चहकी चिरैया धान के खेतों में फिर
कोयलों का रूठ जाना, है कहांँ मधुमास फिर।
चातकी नैनों ने व्याकुल प्रेम की विरहा कहा।
प्रीत की अनुरागिनी ने ताप-दुःख ,पीड़ा सहा।
आस कोई जग रही है , हो मिलन सागर – सरि
कामना है ,….हो मधुरमन प्रीत की गागर धरि।
✍️ सीमा शर्मा