पर्यावरण

रसोई देगी भरपूर खाद

बागवानी का शौक रखना बहुत अच्छी बात है । नर्सरी जाकर मनचाहे पौधे लाकर रोप दिए, बस यहीं खत्म नहीं होती आपकी जिम्मेदारी । इनकी उचित देखभाल करना समय-समय पर खाद पानी देते रहना अनिवार्य होता है तभी ये पनपते हैं, खिलखिलाते हैं । जब तक ये नर्सरी में होते हैं स्वस्थ रहते हैं, फिर क्या हो जाता है इन्हे जो अनमने से बस पड़े रहते हैं हमारे आँगन में । जिस तरह अपने बच्चे को हष्ट – पुष्ट बनाने के लिए खान-पान पर विशेष ध्यान रखते हैं बस वैसे ही इन पौधों के खान-पान का ध्यान रखना है । बाजार से आप खाद ला सकते हैं, किन्तु घरेलू व्यर्थ पदार्थों से अगर मुफ्त में खाद तैयार हो जाए तो कैसा हो? जी हाँ खाद, फर्टिलाइजर के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं आपकी सखी  ‘रसोई ‘ से ही सब मिलेगा । आइए जाने कैसे  आपकी  रसोई आपको खाद उपलब्ध कराती है वो भी बिल्कुल मुफ़्त ।
सभी घरों में फलों और सब्जियों के छिलके प्रतिदिन निकलते हैं जो सीधे कूड़ेदान में या जानवरों के खाने के लिए डाल दिए जाते हैं । इन्हे एकत्रित कीजिए किसी बाल्टी, बड़ी पॉलीथिन जो आपके पास उपलब्ध हो उसमें । ध्यान रहे पका अनाज बिल्कुल भी न डालें वर्ना आपको कुछ हाथ नहीं लगेगा ।
दो- चार दिनों में ही आपके पास पर्याप्त सामग्री जमा हो जाएगी । यह इस पर भी निर्भर करता है कि आपकी रसोई मेंकितनी मात्रा में छिलके निकलते हैं । कुछ सूखी पत्तियाँ भी एकत्रित कर लें ।यह आपको आसानी से आसपास ही मिल जाएँगी । या आप नीम की पत्तियाँ कहीं से मँगवा लीजिए और उन्हे सुखा लीजिए, अति उत्तम होगा ।
एक बड़ी बाल्टी या ड्रम जो आपके पास हो उसमें नीचे थोड़े बड़े आकार का छेद कर दीजिए । अब इस पर ब्राउन लेयर बिछा दीजिए मतलब गत्ते के टुकड़े डालें फिर सूखी पत्तियाँ बिछा दें अब इसके ऊपर आपका किचन वेस्ट जो एकत्रित हैं अच्छी तरह दबाकर डालें उसके ऊपर मिट्टी की परत बिछाएँ मिट्टी में थोड़ा गोबर खाद या वर्मी कंपोस्ट मिला दें तो और भी अच्छा है पर अगर न हो तो चाय पत्ती जो चाय बनाने के बाद बचती है उसे मिला दें ।अगर आपका किचन वेस्ट ज्यादा मात्रा में है तो यही प्रक्रिया पुनः दोहरा लें अंत में थोड़ा मट्ठा या खट्टी दही में पानी मिलाकर छिड़काव करें फिर ढंककर रख दें । ध्यान रहे कि नीचे जो छेद किया गया था वहाँ से कुछ दिनों में रिसाव होगा जो सशक्त तरल खाद या लिक्विड फर्टिलाइजर है इसे हमें बर्बाद होने से बचाना है इसलिए इसके नीचे एक ऐसा टब रखें जिसपर यह फर्टिलाइजर एकत्रित होता रहे । इसे आप समय-समय पर निकालकर इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पौधों को डाल दिया करें, खिलखिला उठेंगे आपके पौधे ।
अब जो सामग्री आपने खाद बनने के लिए छोड़ी है उसे दस – पंद्रह दिन के अंतराल में खोलकर , किसी लकड़ी से ऊपर-नीचे कर दीजिए । कोई तय समय सीमा नहीं है, जब आपका खाद बनकर तैयार हो जाएगा तो उसकी पहचान है आपको एक भी फल और सब्जी के छिलके दिखाई नहीं देंगे सब भुरभुरी मिट्टी की तरह हो जाएँगे । बस हो गई आपकी खाद तैयार इसे सभी प्रकार के पौधों में डालिए और फिर देखिए उसका परिणाम ।पौधों की सेहत में जबरदस्त परिवर्तन दिखेगा, बाग फूलों से लद जाएगा । करके देखिए, अच्छा लगता है।

— गायत्री बाजपेई शुक्ला

गायत्री बाजपेई शुक्ला

पति का नाम - सतीश कुमार शुक्ला पता - रायपुर, छत्तीसगढ शिक्षा - एम.ए. , बी एड. संप्रति - शिक्षिका (ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर ) रूचि - लेखन और चित्रकला प्रकाशित रचना - साझा संकलन (काव्य ) अनंता, विविध समाचार-पत्रों में ई - पत्रिकाओं में लेख और कविता, समाजिक समस्या पर आधारित नुक्कड़ नाटकों की पटकथा लेखन एवं सफल संचालन किया गया । सम्मान - मारवाड़ी युवा मंच आस्था द्वारा कविता पाठ (मातृत्व दिवस ) हेतु विशेष पुरस्कार , " वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ "काव्य प्रतियोगिता में विजेता सम्मान, विश्व हिन्दू लेखिका परिषद् द्वारा सम्मानित आदि ।