मर्मभेदी यादें
कवि केदारनाथ सिंह की पुण्यतिथि, पत्रकार खुशवंत सिंह की पुण्यतिथि, जो कि स्वच्छंद विचारों के संवाहक, ग़ज़ब के लेखक, अज़ब के पत्रकार व असरदार सरदार खुशवंत सिंह की 7वीं पुण्यतिथि पर सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि, तो वहीं उपन्यास ‘राग दरबारी’ की 50 से ऊपर वर्ष हो गई और कवि केदारनाथ सिंह की तीसरी पुण्यतिथि !
केन यानी के=केदार, न=नाथ यानी केन नदी तट यानी मध्यप्रदेश के कवि केदारनाथ अग्रवाल ने ‘वसंती हवा’ कविता लिखा था, वहीं चकिया यानी उत्तरप्रदेश के कवि केदारनाथ सिंह को भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान मिला था, तथापि मैं केदारनाथ अग्रवाल को चौथी कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित उनकी कविता ‘वसंती हवा’ के मार्फ़त तब से ही जान रहा हूँ।
बाद के दिनों में केन जी पर ‘आजकल’ पत्रिका में ‘एक पत्र मेरी भी’ प्रकाशित हुई थी, किंतु केदारनाथ सिंह को बड़े कक्षाओं में जाना और उनसे प्रत्यक्षतः मिला भी हूँ । ‘हवा हूँ, हवा मैं, वसंती हवा हूँ ‘ के कवि का भी निधन हो चुका है, वृद्धावस्था और बीमारी ने कवि केदारनाथ सिंह को लील लिया । प्रियजनों का सदा के लिए चले जाना अत्यंत मर्मभेदी और दुखदायी होता है।