क्षणिका

क्षणिका : विकास

“विकास” का बोझ,

धरती से और
सांसों का बोझ कंधे पर
जब उठाया न गया,
मासूम ने धरती पर
“जीवन” उगा दिया।

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विकास की आंधी में
सब बढ़ गए आगे
अबोध अर्थव्यवस्था
सिसकती ही रही।

— अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed