कविता

/ यदि आप होते तो../

आप बहुत याद आते हैं
मान्य दत्ता महोदय जी,
सुना था कि आप
इस दुनिया में नहीं हैं
कई साल पहले चल बसे हैं
आपके साथ बड़ी कुर्सी पर
अपने प्राचार्य कक्ष में
बिठाकर हमें पढ़ाते थे
बहुत बड़ा सम्मान लग रहा था
पंद्रह साल की उस उम्र में
जाति का विकार
मैं नहीं जानता था
गरीबी मेरे साथ खेल खेलती थी
मेरे पास आँसू के बिना और कुछ नहीं थी
केवल पढ़ाई करने की शौक थी
एक प्यास थी, ढ़ूँढ़ता था
जग का रहस्य, जन्म का सार
हर पुस्तक में खोज़ता था,
मेरे मन का आह भरनेवाला था
आपका स्नेहमयी वातावरण
मुझपर आपकी कृपा, प्यार बरसता था
स्नातक की उपाधि, वही प्रथम
आपकी छाया में मैंने हासिल की थी।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।