आयी चुनाव की बेला…(व्यंग्य रचना)
आओ देखो तुम ये राजनीति का खेला,
क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला।
इक दूजे पे तीर चले हैं यूं भारी भरकम,
मुफ़्त की सेल लगी है कहीं लगा है मेला,
क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला।
देशहित के कानून हों चाहे कोई सुझाव,
भीड़ पीछे है कहीं रह गया हंसा अकेला।
क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला।
जाति पाती और पंथ मजहब की चर्चा होगी,
किसकी नाव डूबेगी कौन बन पाएगा अलबेला।
क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला।
सड़कों के गड्ढे भी भरेंगे, वादा होगा पक्का,
बुलेट ट्रेन भी चलेगी पीछे करो जो अपना रेला,
क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला।
कामनी गुप्ता