कविता

*जय गंगाधर हर -हर महादेव*

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    इस जगत के रक्षक है
    भक्तों के कष्ट हरते है
    साकार निराकार ओंकार रुप
    जय गंगाधर हर-हर महादेव।

जिसका आदि न अन्त है
कपूर के समान गौर वर्ण है
सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है
जय गंगाधर हर -हर महादेव।

प्रभु श्रीराम के ईष्ट है भोलेनाथ
करुणावतार है केदारनाथ
द्वादश ज्योतिलिंगों में रहते है
जय गंगाधर हर-हर भोलेनाथ।

सुर असुर मानव सभी करते है पूजा
शीघ्र प्रसन्न हो जाते आशुतोष
जगत के लिये विषपान किया है
जय गंगाधर हर-हर महादेव।
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कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171