कविता

ऊँ श्री गुरुवै नमः*

गुरु शिष्य का भाग्य विधाता
गुरु भव सागर को पार कराता,
गुरु जीवन नैया पार लगाता है
गुरु जीवन से अन्धकार मिटाता।

गुरु तन -मन को निर्मल करता है
विचारों में पवित्रता भर देता है
गुरु स्व की पहिचान कराता है
जीवन को मंगलमयी बनाता है।

गुरुवर तुम दाता और ज्ञाता हो
ज्ञान धार से सिंचा मुझको,
तुमने इस जीवन को दिव्य बनाया
मेरे जीवन से तुमने तमस भगाया।

गुरु जीवन को ज्योतिर्मय करता
गुरुवर सत्य साधना का मार्ग बताता,
इतनी कृपा करना गुरुदेव हम पर
संयमी बना रहूँ मैं जीवन भर।

गुरु गोविंद से मिलाता है
गुरु नेह की राह बताता,
गुरु सत्य का बोध कराता
नित गुरु चरणों में ध्यान लगाओ।

गुरुवर तुम जीवन के तारणहार हो
तुमने इस जीवन को कुंदन बनाया,
तुम तो पारसमणि हो गुरवर
गुरु चरणों की रज शीश लगाऊँ।

गुरु प्रकाश पुंज समान
गुरु ही वेद और पुराण है,
गुरु भक्ति से पूरी होते है मनोरथ
गुरु आशीष से मिटते है सब विकार।

गुरु ही ब्रह्म ,विष्णु, महेश है
दंभ छल द्वेष पाखंड से दूर रहूँ ,
जीवन भर नेह की राह पर चलू
तुमसे करता मैं नित यही आराधना।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171