भारतरत्न कलाम चाचा
हर बच्चों की तरह अब्दुल कलाम भी पक्षियों के उड़ान भरने को देखा करते और सोचा करते– ‘काश ! वे भी पक्षी होते !’ सजीव पक्षी को लिए कृत्रिम पक्षी यानी वायुयानों के उड़ान से बेहद प्रभावित हुए और उसपर यात्रा करना ही नहीं, बल्कि विमान के संचालन के बारे में भी सोचने लगे!
कालांतर में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट करने के बाद सचमुच में फाइटर विमान उड़ाने को सोचने लगे । इसी उद्देश्य से वे पॉयलट बनने को इंटरव्यू दिए, परंतु इसमें सफल न हो सके और नैराश्य में पहुंच गए, फिर ऋषिकेश में एक स्वामी से मिलकर उनमें सपना देखने की प्रवृत्ति फिर जगी, क्योंकि बकौल स्वामीजी– ‘तुम फाइटर विमान का पॉयलट नहीं बन सका, किन्तु हताश न हो, क्योंकि मेरी दूरदृष्टि कह रहा है कि तुम देश के पॉयलट बनोगे !’
….. और यहीं से अब्दुल कलाम का डॉ. अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम बनने का सफर शुरू हुआ। डॉ. विक्रम साराभाई के जूनियर रहे डॉ. अब्दुल कलाम ने गुरु साराभाई से भी आगे बढ़ ‘अग्नि’ की उड़ान भरने लगा । ‘अग्नि’ भारत के सबसे ताकतवर व मारक क्षमतावाले ‘मिसाइल’ का नाम है, जिनके कारण भारत ने और भी साहस और ताकत पाया और इसी कारणश: उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा गया ।
ज़िन्दगी के इस फ़लसफ़े में वे इतने रमे कि दो बार लड़कीवाले इनके घर पर बैठे रह गए, किन्तु कलाम साहब इस सामाजिक सुकार्य हेतु खुद को प्रेजेंटेशन कराने घर पहुंच नहीं पाए और उसके बाद घरवाले भी फिर कभी इस हेतु ज़िद नहीं किये ! सन 1992-1999 तक रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में रक्षा व सुरक्षा सलाहकार रहे।
तत्कालीन रक्षा मंत्री श्रीमान मुलायम सिंह यादव उनके कार्यों से बेहद प्रभावित हुए थे, तब इनकी भारत सरकार ने 1997 में उन्हें ‘भारत रत्न’ सम्मान से विभूषित किया था और इसी बीच वो सरकार गिरी और श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री पुनः बने, जिन्होंने 1998 में कलाम साहब के नेतृत्व में पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण हेतु चुना। फिर वाजपेयी जी और कलाम साहब के बीच ट्यूनिंग चल निकले।
….और फिर तीसरी बार जब श्रीमान अटल जी प्रधानमंत्री बने, तो 2002 में एपीजे सर देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथग्रहण किये । यह घटना दुनिया के इतिहास में संभवतः पहलीबार हुई कि किसी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री यानी दोनों ही थे अविवाहित। वर्ष 2007 में राष्ट्रपति पद का टर्म पूरा होने के बाद उनमें राजनीति के प्रति अरुचि गृह कर गए थे, किन्तु राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति और भी सचेत हो चले थे, इसलिए वे अपने विज़न-2020 में पुनः संलग्न हो गए और छात्रों के बीच व्याख्यान देने लगे।
अंतत: छात्रों के बीच ही व्याख्यान देते-देते आई आई एम, शिलांग में अचानक गिर पड़े, संभवतः वो हार्ट अटैक था ! दिनांक 27 जुलाई 2015 में इस संत, वैज्ञानिक और भारत रत्न ने पार्थिव देह को छोड़ परलोक सिधार गए। सत्यश:, अब्दुल कलाम की पूर्ति कोई नहीं कर सकते हैं । वे देश के दूसरे संत, वैज्ञानिक और भारतरत्न विभूषित ‘राष्ट्रपति’ थे।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद न केवल प्रखर मेधावी थे, अपितु दर्शन वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दर्शनवेत्ता थे । राष्ट्रपति भवन के पहले संत थे, साथ ही भारतीय स्वतंत्रता काल में ही राजेन्द्र बाबू भारतीयों के लिए ‘देशरत्न’ बन चुके थे, हालांकि डॉ. प्रसाद बाद में भारत रत्न से विभूषित हुए। डॉ. कलाम से मुझे भी दो बार निकटस्थ होने का सुअवसर मिला है, पहली दफ़ा जब वे राष्ट्रपति नहीं थे, किन्तु ‘भारतरत्न’ विभूषित थे और दूसरी दफ़ा उनके महामहिम राष्ट्रपति होने पर । दोनों दफ़े पटना में ।
पहलीबार पी एम सी एच / पटना यूनिवर्सिटी में सुश्री मीसा भारती, स्वर्ण पदक धारिका एम बी बी एस [अब श्रीमती मीसा भारती, मा. राज्यसभा सांसद] इत्यादि छात्र-छात्राओं को दीक्षांत-पदक प्रदान करने के क्रम में कलाम साहब के साथ प्रश्नवार्त्ता लिये । दूसरी बार, पटना म्यूज़ियम के बाहर बैरिकेडिंग के समीप राष्ट्रपति के कार में राष्ट्रपति बना एपीजे सर द्वारा अपने ज़ुल्फ़ को साधारण’सा कंघी से सँवारते हुए । ऐसे भारतरत्न को उनके जन्मदिवस पर एक सामान्य भारतीय की ओर से शतश: सलाम अर्पित है।