कविता

/ बरसते हैं मेघ /

गरजते हैं मेघ
चारों ओर
घुमड़ -.घुमड़कर सारे आकाश में
फैल जाते हैं पागल होकर
बढ़ – बढ़कर
गरजते हैं मेघ
चम – चम चमकती बिजली
संकेत देती है
शीतलता मिलने से
जग की प्यास बुझाने
मेघ बरसेंगे टप – टप बूँदें बनकर
हर प्रणी में
नव चेतना लाते हैं
लोक मंगलकारी मेघ
नित निहारी हैं इस जग के।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।