क्षणिका
पतझड़ का मौसम
देता उल्लास
आने वाला
है मधुमास।
अंजु गुप्ता ✍
************”
बरसों बरस/
जो “शिला” सम/
थी पितृसत्ता की जड़कन में/
आज उसी नारी को /
है अपना अस्तित्व /
तराशते देखा ।
अंजु गुप्ता ✍
पतझड़ का मौसम
देता उल्लास
आने वाला
है मधुमास।
अंजु गुप्ता ✍
************”
बरसों बरस/
जो “शिला” सम/
थी पितृसत्ता की जड़कन में/
आज उसी नारी को /
है अपना अस्तित्व /
तराशते देखा ।
अंजु गुप्ता ✍