दो राज्यों या देशों के बीच बँटवारा !
आज मनिहारी की जमीन का दियारा क्षेत्र 18 वर्षों से साहिबगंज जिला में फंसा है, यह जिला अब झारखण्ड राज्य में है । अपने देश में दो राज्यों का फैसला 18 वर्षों में भी नहीं हुआ है । जिनमें मेरे सम्बन्धियों की जमीन भी फंसा है, माननीय विधायक जी विधान सभा सदन में इस मामले को कई बार उठाये हैं, लेकिन परिणाम ‘नील बटा सन्नाटा’ !
आप दो देशों के बीच के मामले को इतना आसान क्यों समझते हैं ? जब ‘कानूनन’ चलेंगे, तो इनमें अगर-मगर की बात नहीं होती ! क्या मैं अपने रंग के कारण अफ्रीका महादेश में किसी देश में जबरन रहने के लिए दावा ठोंकू ! ….. जब लम्बी कानूनी प्रक्रिया चल रही हो….. जब स्थानीय भी अगर किसी को और जब कानून भी कई को विदेशी समझ रहा है, तो इसे आप नकार कैसे सकते हैं !
ब्रह्मपुत्र नदी चीन से आती है और काफी हिस्सा भारत में प्रवाहित होती है, वहीं गंगा भी बांग्लादेश में प्रवेश करते ही पद्मा हो जाती है । माननीया ममता बेनर्जी बांग्लाभाषी होने के लिए ही पक्षपात कर रही है, वरना बिहारी और झारखंडी को बंगाल से खदेड़ कर नहीं भगाती ! बर्मा (म्यामांर) देश भी 1936 में बिहार से ही निकल कर बना है, तो हमारे बिहारी वहाँ भी दावा ठोंके, क्या ?
दुनिया के सभी बुद्धिजीवी ‘शिक्षकों के कारखाना’ से ही निकलते हैं । तभी तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों सरकारों (केंद्र और बिहार) को कसके चमोटा कि जब आईएएस अफसरों और इंजीनियरों को लाखों वेतन देते हैं, तो ‘राष्ट्र निर्माता शिक्षक’ को इतना कम क्यों ?