क्षणिका माँ *अंजु गुप्ता 02/08/202129/08/2021 बन कवच – ढाल, हो खुद कुर्बान! तिमिर हटा कर, देती है ज्ञान! करे सर्वस्व न्यौछावर, शिशु के लिए “माँ” प्रभु नहीं, पर है प्रभु समान। अंजु गुप्ता ✍🏻