ऐसा क्यों हो रहा है ?
मेरे हृदयस्पर्शी मित्र, पूर्व सहकर्मी और वर्त्तमान में भारतीय रेलवे में सम्मानित पद पर कार्यरत श्री इंद्रजीत कुमार के हाथों पुस्तक ‘पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद’ और ‘लव इन डार्विन’…. सादर आभार, मित्र ! मित्रता दिवस पर शुभमंगलकामनाएँ !
पहली अगस्त को मित्रता दिवस ! समय चलती रहती है, दोस्त बनते रहते हैं …कुछ “दिल” के करीब और कुछ “दिल” से दूर …
इन नाजुक रिश्तों को सलाम …जो होते है पराये …लेकिन बिछड़ने के बाद अपनों से ज्यादा दर्द की चुभन देते है …आँसुओं के रूप में, यादों के रूप में ….और बहती हवाओ के रूप में …अलौकिक पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ….अपने सटीक विचारों पर पूरा भरोसा रखिये,
भले ही दुनिया कहती रहे, तुम पागल हो !
आप संस्कृत में ब्याह करेंगे, संस्कृत में पूजा करेंगे! यहाँ तक संस्कृत में श्राद्ध कराएंगे, पर बिहार सरकार संस्कृत को बचा नहीं रहे!
कुछ मित्र ने मुझे शुभकामनाएं भेजी है कि आज भी है ‘मित्रता दिवस’
सभी मित्रों को एतदर्थ हृदयग्राह्य मंगलकामनाएं !
माननीय बाबा हुकुमदेव नारायण यादव ! अपनी ठेठ हिंदी के लिए प्रसिद्ध ‘हुकुम’ बाबा मेरे लिए ‘रमेश मुखिया’ जैसे हैं, बिल्कुल सरलता के प्रतीक, बेबाक वक्ता ! वह ऐसे सांसद हैं, जो अपने खेत मे अब भी ‘हल’ चलाते हैं तथा ‘बैलगाड़ी’ में भी टेक्नोलॉजी ढूढ़ते हैं ! सरलता ऐसी कि, हुकुम बाबा अब भी डोरेवाला अंडरवियर पहनते हैं ! उन्हें यह पुरस्कार श्रीमान शरद यादव से भी पहले मिल जाने चाहिए थे ! अब तो ‘पद्म भूषण’ भी हैं आप, बधाई हुकुम बाबा !
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के लिए चुनौती बने मोतिहारी (बिहार) के टीवी पत्रकार श्री रवीश कुमार को कुछ वर्ष पहले मिला, एशिया का नोबेल पुरस्कार यानी “रेमन मैग्सेसे पुरस्कार”…बधाई ‘बिहारी’ !