*मिलजाए साथ बहार का*
*मिलजाए साथ बहार का*
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मेरे हम सफर मेरे हमनवा है नशा बड़ा तेरे प्यार का |
कुछ तो कहो के मैं क्या करूँ तेरी आरज़ू के खुमार का |
तेरे साथ – साथ चले खुशी तेरा साथ फसले बहार है –
तू ही आशकी तू ही बंदगी तू ही नूर मेरे सिंगार का |
तेरे बिन उदास ये ज़िन्दगी हर ओर छाया धुआँ घना –
तू ही तीरगी तू ही रौशनी तू चराग मेरे दयार का |
मेरी हसरतें तेरे दम से ही मेरी जीस्त तू मेरी जान तू –
मेरे ग़म की एक दवा है तू ,तू जवाब मेरी पुकार का |
तू ज़मीन है तू ही आसमां मेरी ज़िंदगी का मुकाम है –
अब चाहें जो भी सिला मिले नहीं डर मुझे अब हार का |
जिसे ढूंढती है नज़र मेरी मेरी रूह जिसको तलाशती
कोई दे दवा मेरे चैन की कोई दे पता भी दायर का |
वो’मृदुल’उमंग भी खो गई नही सब्र ना ही करार है.
मेरी चाहतो का सिला मिले मिल जाए साथ बहार का ।
मंजूषा श्रीवास्तव’ मंजूषा ‘