तब देखिएगा ?
‘विश्व जनजाति दिवस’ पर
शुभमंगलकामनाएँ..
मैं आज भी
दिग्भ्रमित हूँ
कि जनजाति
वनवासी ही
‘आदिवासी’
या मूलनिवासी है,
ऐसा क्यों ?
भारत में ‘सवर्ण’
कोई नहीं है,
क्योंकि यह सब
पोंगा-पंडितों का
करे-धरा है
तथा इसने ही
इसे परिभाषित भी
किया है !
यह कानून बना दी जाय-
जो आजीवन
या 60 की आयु तक
कुँवारे रहेंगे,
वे ही चुनाव लड़ पाएंगे !
तब देखिएगा,
कोई भी नेता
बनना नहीं चाहेंगे !
श्रीलंका और रूस की
राजनीति में अजीब बातें-
वहाँ राष्ट्रपति
बनने के बाद लोग
सत्ता में बने
रहने के लिए
प्रधानमंत्री भी
बन जाते हैं !