शिक्षक
प्रणाम उस मानुष तन को,
शिक्षा जिससे हमने पाया।
माता पिता के बाद हमपर,
उनकी है प्रेम मधुर छाया।।
नमन करता उन गुरुवर को,
शिक्षा दें मुझे सफल बनाए।।
अच्छे बुरें का फर्क बता,
उन्नति का सफल राह दिखाए।।
शिक्षक अध्यापक गुरु जैसें,
नाम अनेकों मानुष तन के,
कभी भय, कभी प्यार जता,
हमें जीवन की राह दिखाते।।
कभी भय, कभी फटकार कर,
कुम्हार भांति रोज़ पकाते।
लगन और अथक मेहनत से,
शिक्षक हमें सर्वश्रेष्ठ बनाते।
कहलाते है शिक्षक जग में,
बह्म, विष्णु, महेश से महान।
मिली शिक्षक से शिक्षा हमें
जग में दिलाती खूब सम्मान।।
शिक्षा बिना तो मानव जीवन,
दुर्गम, पीड़ित और बेकार।
गुरुवर ने हमें शिक्षा देकर,
हमपर कर दी बहुत उपकार।।
अपने शिष्य को सफल देख,
प्रफुल्लित होता शिक्षक मन।
अपने गुणिजन गुरुवर को मैं,
अर्पित करता श्रद्धा सुमन।।